अर्थ : ଅତି ଉଚ୍ଚା ବା ଅତି ଧୀର ହୋଇ ନଥିବା ସ୍ୱରର ଉଚ୍ଚାରଣ
उदाहरण :
ବୈଦିକ ମନ୍ତ୍ର ପଢ଼ିଲାବେଳେ ସ୍ୱରର ଠିକ ଉଚ୍ଚାରଣ କରିବାପାଇଁ ସ୍ୱରିତର ବ୍ୟବହାର କରାଯାଉଥିଲା
अन्य भाषाओं में अनुवाद :
स्वर का वह उच्चारण जो न बहुत ऊँचा हो और न बहुत धीमा।
वैदिक ऋचाओं में स्वरों का सही उच्चारण प्रकट करने के लिए स्वरित का भी उपयोग किया जाता था।